Murder or trap 12
दूसरी तरफ चिराग और मृदुल दोनों ही सुबह-सुबह फॉरेंसिक लैब पहुंच गए थे। समर आज पहले से ही लैब में आया हुआ था और अपने कैबिन में ही बैठा था।
उनके पहुंचते ही समर ने पूछा, "क्या बात हो गई.. कल तुम लोग रिपोर्ट लेने नहीं आए?? परसो तो बड़ी जल्दी दिखा रहे थे!!" समर ने मृदुल और चिराग को देखते ही पूछा और उन्हें बैठने का इशारा किया।
चिराग तो समर के बोलने से पहले ही जाकर कुर्सी पर जम गया था।
"कुछ नहीं.. बस कल कुछ बहुत ही ज्यादा बड़ा सबूत हाथ लग गया था। उसी के चक्कर में यहां आना माइंड से स्किप कर गया।" मृदुल ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा।
"ओह.. अच्छा.. तो फिर अब..! अब थोड़ी कुछ काम है??" समर ने पूछा।
"तुम्हारे पास से रिपोर्ट्स कलेक्ट नहीं की.. वैसे अब तक तो सारे सैंपल्स टेस्ट हो गए होंगे!!" मृदुल ने पूछा।
"हां लगभग सारे सैंपल्स टेस्ट हो चुके हैं!!" समर ने कहा।
"और वो डायरी..??" चिराग ने पूछा।
"हां वह डायरी..! वो तो तुम लोगों के कहने के हिसाब से सबसे पहले ही टेस्ट कर दी थी। उस डायरी पर 2 लोगों के फिंगरप्रिंट्स मिले हैं। जिसमें से एक फिंगरप्रिंट दीप से मैच करते हैं और दूसरे फिंगरप्रिंट्स अननोन है.. पर यह फिंगरप्रिंट कल तुम जो भी चीज है लाए थे उन सभी पर भी मिले हैं। साथ ही में पिछली बार जो 5 लोगों के अननोन फिंगरप्रिंट्स दीप के कमरे से मिले थे.. उनमें से एक यही फिंगरप्रिंट है.. जो इस डायरी पर मिले है।" समर ने बताया।
इस खुलासे से मृदुल और चिराग खुश और हैरान दोनों थे। उन्हें बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि उनमे कुछ लिंक भी हो सकता होगा।
"इस डायरी को जबरदस्ती फाड़ने की कोशिश की गई थी.. लेकिन इसके पन्ने फाइबर मिक्स पेपर से बने हुए हैं.. इसी वजह से इन्हें फाड़ना थोड़ा सा मुश्किल रहा होगा।" समर ने बताया।
"अच्छा..! ऐसा भी होता है कि पेपर फाइबर मिक्स करके बनाया जा सके।" चिराग ने आश्चर्य से पूछा।
"बिल्कुल.. ऐसा हो सकता है!! ऐसी डायरीज स्पेशल पर्पस के लिए ही बनाई जाती हैं.. जैसे गिफ्ट वगैरा देने के लिए। अधिकतर पैसे वाले लोग इस टाइप की डायरीज यूज करते हैं।" समर ने उस डायरी के बारे में और ज्यादा जानकारी दी।
"अच्छा.. और वह जो साड़ी मिली थी जिस पर खून लगा हुआ था.. उसका क्या..??" मृदुल ने पूछा।
"हां.. उस साड़ी पर ओ पॉजिटिव ब्लड ग्रुप का खून लगा हुआ था। उस खून से मिले डीएनए सैंपल मैंने कलेक्ट किए थे और वही खून और बाकी जो डेली यूज की चीजें तुम लोगों ने लाकर दी थी.. उन पर भी मिला था। साथ ही उन पर दो-तीन लोगों के फिंगरप्रिंट्स मिले.. जिनमें से एक दीप था, एक दीप की मां और तीसरे सैंपल वही थे.. जो डायरी पर मिले थे!!" समर उन सैंपल्स की डिटेल्स बताते जा रहा था।
मृदुल और चिराग दोनों ही चुपचाप समर के बातें सुन रहे थे। कुछ देर बाद चिराग ने पूछा, "वो जला हुआ कपड़े का छोटा सा टुकड़ा.. जो पानी में भी कर लगभग गल ही गया था। उससे भी कुछ मिला या नहीं..??"
समर ने उन दोनों की तरफ देखा और फिर उठ कर वह सैंपल लेने चला गया। अभी भी वह जला हुआ कपड़े का टुकड़ा समर ने वापस उसी जिपलॉक बैग में रखा हुआ था। उसे चिराग और मृदुल को दिखाते हुए कहा, "यह कपड़े का टुकड़ा.. एक कॉटन टॉवल का टुकड़ा है। जिसे आम तौर पर साफ सफाई के काम में लिया जाता है। इस कपड़े पर से इतना भीगने के बाद भी कुछ खून के ट्रेसेस मिले हैं और वह ट्रेसेस ओ पॉजिटिव ब्लड ग्रुप के ही है। साथ ही जो एक पाउच में थोड़ी सी कालिख दी थी.. उसमें से भी डीएनए सैम्पल मिले हैं। कालिख से मिले डीएनए सैंपल, इस जले हुए कपड़े से मिले डीएनए सैंपल और उस साड़ी पर लगे खून के सैंपल परफेक्ट मैच करते हैं। इसका मतलब है की तीनों सैंपल एक ही व्यक्ति के हैं।"
इतना सुनते ही चिराग और मृदुल दोनों खुश हो गए हैं और एक दूसरे की तरफ मुस्कुरा कर देखा।
"अच्छा.. एक बात और पता चली है..!!" समर ने कहा।
"क्याऽऽ.. क्या पता चला है..??" चिराग से अब और अधिक वेट नहीं हो रहा था उसने उतावलेपन से समर से पूछा।
"कल.. एक्चुअली परसों.. जो कुछ धागे एक घड़ी में फंसे हुए तुम देकर गए थे.. यह धागे इसी साड़ी का हिस्सा है जो तुमने कल मुझे टेस्ट के लिए दी थी।" समर ने कहा।
मृदुल और चिराग समर की हर एक बात से बहुत ज्यादा खुश नजर आ रहे थे। अब तक इस केस की जो भी कड़ियां उलझी हुई दिख रही थी.. अब वो धीरे धीरे जुड़ने लगी थी।
उसके आगे मृदुल ने पूछा, "और भी कुछ टेस्ट करने के लिए बाकी बचा है या फिर सब कुछ तुम टेस्ट कर चुके हो??"
"नहीं..! सब कुछ टेस्ट हो चुका है.. एक चीज जिसके बारे में मैंने अभी तक तुम्हें नहीं बताया था.. वह यह कि जो पहले दिन तुम लोग मुझे एक शर्ट देकर गए थे। उस शर्ट पर भी इस ओ पॉजिटिव ब्लड के छीटें पड़े थे। जिन्हें काफी मेहनत करके साफ कर दिया गया था। लेकिन कफ पर लगे एक बटन से.. जिस के धागे का रंग बाकी शार्ट से हल्का सा अलग नजर आ रहा था.. उसी बटन पर लगे धागे से इस ब्लड के ट्रेसेस मिले और वह भी इस डीएनए को मैच करते हैं।" समर ने बताया।
अब सारी बात लगभग क्लियर हो गई थी कि ये सभी सबूत इसी तरफ इशारा करते थे कि अनीता का कत्ल हो चुका था और उसमें दीप और उसकी फैमिली की भी इंवॉल्वेस थी। तभी मृदुल को कुछ याद आया और उसने अपनी जेब में से हाथ डालकर एक पैकेट निकाला और समर को दिया।
समर ने उस पैकेट को देखते हुए पूछा, "इसका करना क्या है मृदुल?? क्या है इस पैकेट में??"
"इस पैकेट में दीप के घर के किचन गार्डन की मिट्टी है। तुम्हें इसे उसी मिट्टी से मैच करना है जो पहले दिन तुम्हें दी थी और जल्द से जल्द इसकी रिपोर्ट तुम्हें हमें देनी होगी।" मृदुल ने कहा।
"ठीक है.. इसकी रिपोर्ट तुम्हें आज शाम तक मिल जाएगी!!" समर ने कहा।
इतना कहते हुए मृदुल और चिराग दोनों चलने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने समर से पूछा, "समर एक बात और बताओ..?? यह सब जो तुमने अभी हमें बताया है.. उसकी फाइनल रिपोर्ट हमें कब तक मिल जाएगी??"
"शाम को ही मैं इसकी फाइनल रिपोर्ट बनाकर तुम्हें दे दूंगा!" समर ने कहा।
"ठीक है तो फिर अब हम चलते हैं। तुम इन सारे सैंपल्स की फाइनल रिपोर्ट शाम तक मुझे मेल कर देना। मुझे इस केस की फाइल रेडी करनी है!" मृदुल ने कहा।
"ठीक है तुम्हें इस मिट्टी के सैंपल के साथ ही साथ बाकी सारी रिपोर्ट भी शाम तक मिल जाएंगी।"
उसी के बाद मृदुल और चिराग दोनों समर के केबिन से बाहर निकल गए। चिराग उल्टे पांव दौड़ते हुए समर के केबिन में वापस आया.. उसे ऐसे तुरंत ही वापस आया देख समर ने पूछा, "क्या हुआ चिराग..! कुछ अर्जेंट..??"
"हां अर्जेंट तो है ही.. तुम्हें एक बात बताना भूल गया था।"
"क्या..? ऐसी क्या बात थी??" समर ने आश्चर्य से पूछा।
"वह यह कि इस मिट्टी की रिपोर्ट जल्द से जल्द तैयार कर दो और सारी रिपोर्ट्स मेल करके आज जल्दी घर चले जाना.. आराम करने के लिए।" चिराग ने कुछ रहस्यमय एक्सप्रेशंस के साथ कहा।
"क्या मतलब..??" समर ने कंफ्यूज होते हुए पूछा।
"मतलब यह है कि कल सुबह जल्दी ही तुम्हारे पास एक बहुत ही अर्जेंट काम आने वाला है!! जिसकी रिपोर्ट तुम्हें जल्द से जल्द तैयार करनी होगी और इन सब में शायद तुम्हें आराम करने का वक्त ना मिले। इसीलिए मेरी सलाह मानो और जल्दी ही अपने हाथ के सारे काम खत्म कर दो!!" चिराग इतना कहकर जिस तेजी से आया था उससे दुगनी तेजी से केबिन से बाहर निकल गया।
समर वहीं खड़ा खड़ा-खड़ा बेवकूफों की तरह बस उस बंद दरवाजे को देख रहा था। फिर उसने अपने सर पर हाथ मारा और फटाफट से काम करने के लिए बैठ गया। उसके हाथ रिपोर्ट्स बनाने के लिए कंप्यूटर पर ऐसे चल रहे थे जैसे यह उसकी जिंदगी का आखिरी पल था और उसे मरने से पहले यह काम किसी भी कीमत पर निपटाना था।
फॉरेंसिक लैब से निकलकर चिराग ने मृदुल को पुलिस स्टेशन छोड़ा और खुद रुद्र के फ्लैट पर जाने के लिए निकल गया।
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1 घंटे में चिराग रुद्र के फ्लैट पर पहुंच गया। शंभू काका ने दरवाजा खोला और जैसे ही चिराग घर के अंदर एंटर हुआ.. एक बहुत ही अच्छी खुशबू ने उसका ध्यान खींचा। पूरे घर में एक बहुत ही अच्छी खुशबू बिखरी हुई थी।
चिराग ने एक लंबी सांस लेते हुए शंभू काका से पूछा, "काका यह इतनी अच्छी खुशबू किस चीज की आ रही है??"
"बेटा.. दिन भर से कुछ काम तो हमें था नहीं। हमने सुबह सुना था कि तुम दोपहर तक वापस आ जाओगे तो सोचा तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए ही बना दें। तुम्हें भूख लगी होगी ना..!!" शंभू काका ने कहा।
"आई लव यू काका..! सच में आप बहुत अच्छे हो.. आपने इतना टेस्टी खाना मेरे लिए बनाया। चलो कोई ना फटाफट से खाना ले आते है और फिर हम दोनों लोग मिलकर खाएंगे। कुछ बचता है तो उन दोनों के लिए भी छोड़ देंगे।" ऐसा कहकर चिराग जोर से हंस पड़ा।
शंभू काका भी हल्का सा मुस्कुरा दिए।
शंभू काका और चिराग दोनों ने मिलकर खाना खाया। चिराग पूरे टाइम की खाने की तारीफ में लगा हुआ था। खाना खाकर शंभू काका बर्तन लेकर किचन में चले गए और चिराग वही सोफे पर अनीता की डायरी लेकर बैठ कर पढ़ने लगा। जैसे-जैसे वह डायरी पढ़ता जा रहा था.. उसका गुस्सा भी वैसे वैसे ही बढ़ता जा रहा था। उसके चेहरे के एक्सप्रेशन उसके बढ़ते हुए गुस्से को बता रहे थे। जैसे ही उसने डायरी पढ़कर खत्म की.. गुस्से के कारण उसने अपने हाथ में पकड़ी डायरी जोर से फेंक दी।
डायरी फेंकने की आवाज से शंभू काका दौड़ते हुए हॉल में आए और पूछा, "क्या हुआ बेटा?? क्या गिरा?? तुम्हें कहीं चोट तो नहीं आई..??"
"नहीं काका.. मुझे कहीं चोट नहीं आई है.. पर अनीता की डायरी पढ़कर मुझे बहुत ही ज्यादा गुस्सा आ रहा है। लोग इतने दुष्ट कैसे हो सकते हैं कि किसी और की बेटी का दर्द उन्हें दिखाई ही नहीं देता।"
इतना सुनते ही शंभू काका के चेहरे पर भी दर्द की रेखाएं खींच गई थी। चिराग ने जब शंभू काका को दर्द में देखा तो उसने अपने आप को नार्मल किया और शंभू काका से बोला, "सॉरी काका..! मैं बस थोड़ा ज्यादा गुस्सा हो गया था। मेरा आपको दुख पहुंचाने का बिल्कुल भी इरादा नहीं था।" ऐसा कहकर चिराग ने वह डायरी उठाई।
उस डायरी को देखते ही शंभू काका ने पूछा, "यह तुम्हें कहां से मिली बेटा..?"
"आप जानते हो इसे..??" चिराग ने पूछा।
"हां बेटा.. यह डायरी अनीता के जन्मदिन पर मैंने ही उपहार में दी थी। उसे खाना बनाने का बहुत शौक था। नए-नए पकवान बनाना और सब को खिलाना उसे बहुत पसंद था.. इसीलिए यह डायरी मैंने उसे लाकर दी थी.. ताकि वो अपनी सबसे बेहतरीन विधियां इसमें लिखें। तुम्हें पता है यह डायरी कपड़े और कागज दोनों से मिलाकर बनी हुई है। जिससे सालों साल तक इस डायरी का कुछ नहीं बिगड़ सकता।" शंभू काका ने कहा।
शंभू काका की बात सुनकर चिराग को विश्वास हो गया था कि यह डायरी शंभू काका ने हीं अनीता को दी होगी। तभी इस डायरी के बारे में उन्हें इतनी जानकारी थी।
चिराग ने बात पलटते हुए कहा, "कोई बात नहीं काका शाम के 5:00 तो बज ही चुके हैं। कुछ ही देर मैं सभी लोग वापस घर आने वाले होंगे। एक काम करते हैं.. अभी कुछ देर आराम कर लेते हैं। आज इस केस के साॅल्व होने की खुशी में कुछ अच्छा सा बनाएंगे।" ऐसा कहकर चिराग और शंभू काका आराम करने के लिए चले गए।
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दूसरी तरफ मृदुल जब पुलिस स्टेशन में पहुंचा तो सभी कुछ अस्त-व्यस्त दिखाई दिया। उसने डांटते हुए एक कॉन्स्टेबल से कहा, "2 दिन मैं यहां क्या नहीं आया.. तुम लोगों ने इस पूरे पुलिस थाने को कबाड़ घर बना दिया। मुझे अभी के अभी सब कुछ साफ चाहिए।"
सभी कॉन्स्टेबल अचानक से मृदुल को आया देख पहले ही हड़बड़ाए हुए थे। उन्होंने हां में गर्दन हिलाई और सभी इधर-उधर भागने लगे।
मृदुल तेजी से अपने केबिन में चला गया। वहां जाकर भी उसने वही गंदगी देखी तो जोर से आवाज देकर एक कॉन्स्टेबल को बुलाया और लगभग डांटते हुए वहां पर सब कुछ साफ करने के लिए कहा, "तुम लोगों को बिल्कुल भी शर्म नहीं आती। कुत्ते भी अगर किसी जगह बैठते हैं तो अपनी पूंछ से साफ सफाई करके फिर बैठते हैं!! तुम लोग उन से भी गए गुजरे हो क्या..??"
कांस्टेबल गर्दन झुकाए हुए मृदुल की डांट सुन रहा था।
फिर मृदुल ने आगे कहा, "मुझे मेरा केबिन 10 मिनट में साफ चाहिए और अगर यह 10 मिनट में नहीं हुआ तो तुम घर जाने की तैयारी कर लेना।"
इतना सुनते ही कॉन्स्टेबल ने तुरंत ही सबसे पहले उसकी टेबल साफ की और फिर पूरे केबिन की सफाई में लग गया। 10 मिनट बीतने से पहले ही कांस्टेबल ने मृदुल का पूरा केबिन अच्छे से साफ कर दिया था।
मृदुल ने एक नज़र पूरे केबिन पर मारी और कॉन्स्टेबल को बाहर जाने का इशारा करते हुए कहा, "ठीक है जाओ..! और हां.. एक चाय भेज देना।"
कांस्टेबल के बाहर जाते ही मृदुल इस पूरे केस की फाइल बनाने में जुट गया। चायवाला कब चाय रखकर गया मृदुल को कुछ पता ही नहीं चला। उसका पूरा ध्यान इस केस की फाइल बनाने में ही लगा हुआ था। उसने हर एक सबूत का हवाला देते हुए उस अनीता मिसिंग केस को अनीता मर्डर केस बनाते हुए उसकी फाइल तैयार करने में लग गया।
1 घंटे बाद कॉन्स्टेबल ने आकर देखा तो चाय टेबल पर पड़ी पड़ी ही ठंडी हो गई थी। कॉन्स्टेबल ने दोबारा से उसके लिए गर्म चाय मंगवाई। मगर मृदुल उस फाइल को तैयार करने में इतना डूब चुका था कि उसे किसी भी बात का होश ही नहीं था।
शाम के 6:00 बजे मृदुल ने उस फाइल को कंप्लीट किया। तब तक उसकी टेबल पर 6 चाय के कप रखे हुए थे.. जो पड़े पड़े ही ठंडे हो गए थे उस केस फाइल को पूरा करने के बाद मृदुल थोड़ा रिलेक्स्ड फील करने लगा।
उसने रूद्र को मैसेज करके केस फाइल कंप्लीट होने की जानकारी दे दी थी। उसके बाद में मृदुल उस फाइल को लेकर रुद्र के फ्लैट के लिए निकल गया।
शाम को 7:00 बजे ही मृदुल और रूद्र घर पहुंच गए थे। रुद्र ने अपने जेब में रखी चाभी से फ्लैट का दरवाजा खोला और अंदर चला गया। मृदुल भी उसके पीछे पीछे ही फ्लैट के अंदर आ गया था। फ्लैट के अंदर आने पर उन्हें घर में बहुत ही मोहक खुशबू आती हुई महसूस हुई। रूद्र और मृदुल दोनों ने एक लंबी सांस भरी और खुशबू का पीछा करते हुए रसोई तक पहुंच गए।
रसोई में शंभु काका और चिराग दोनों ही कुछ स्पेशल बना रहे थे। रूद्र और मृदुल को देखते हुए चिराग ने बहुत ही ज्यादा एक्साइटेड होते हुए कहा, "देखो.. आज मैंने यह स्पेशल रेसिपी ट्राय की है..शंभू काका ने सिखाई थी मुझे।" ऐसा कहकर चिराग ने एक चम्मच में वो स्पेशल सब्जी रुद्र को टेस्ट करवाया।
रुद्र को वो सब्जी बहुत पसंद आई और रुद्र ने कहा, "आज तो खाना कुछ ज्यादा ही स्पेशल बना है.. इतना अच्छा खाना है कि देखकर वेट नहीं होता। काका कितनी देर है खाने में..?"
शंभू काका ने कहा, "बस बेटा.. तैयार ही है.. तुम लोग हाथ मुंह धो कर आओ.. तब तक खाना लग जाएगा!!"
शंभू काका का जवाब सुनते ही मृदुल और रूद्र दोनों ही फटाफट हाथ मुँह धोने चले गए। जब तक वो दोनों हाथ मुंह धो कर आए तब तक चिराग और शंभु काका खाना लगा चुके थे। सभी ने मिलकर हंसी मजाक करते हुए खाना खाया और खाने की खूब तारीफ भी की। खाने के बाद रुद्र, मृदुल और चिराग तीनों वही सोफे पर बैठ गए। शंभू काका किचन का काम खत्म करने के लिए किचन में चले गए थे।
रूद्र, मृदुल और चिराग तीनों सोफे पर बैठ कर आज सुबह से जो कुछ भी हुआ था.. उसके बारे में बात करने में लग गए।
रूद्र ने मृदुल और चिराग से पूछा, "तुमने मोटा मोटी तो मुझे बता दिया था कि फॉरेंसिक रिपोर्ट में क्या आया?? आप साफ-साफ बताओ कि उस रिपोर्ट में आया क्या था??"
मृदुल के बोलने से पहले ही चिराग ने कहा, "हमारा शक बिल्कुल सच था.. दीप और उसके परिवार ने ही अनीता का मर्डर किया है। साड़ी पर जो खून लगा था उसका डीएनए और बाकी चीजों से मिले डीएनए सैंपल आपस में मैच करते हैं। और पता है जो पिछली बार मृदुल को घड़ी में कुछ धागे फंसे मिले थे.. वह धागे भी अनीता की साड़ी के ही थे। और तो और वो जो डायरी मिली थी.. वह डायरी शंभू काका ने हीं अनीता को गिफ्ट की थी।"
डायरी के बारे में बात सुनकर मृदुल भी चौक गया। उसने प्रश्नवाचक भावों से चिराग की तरफ देखा तो चिराग ने गर्दन हिलाकर अपनी सहमति जताई। उसके बाद मृदुल ने आगे की बात कहना शुरू किया।
मृदुल ने बताया, "पिछली बार जो सैंपल मिले थे वह सभी सैंपल भी अनीता के कत्ल की तरफ इशारा कर रहे थे।"
फिर रुद्र ने पूछा, "और चिराग तुम..?? दोनों को आज सुबह ही मैंने एक एक काम दिया था.. मुझे लगता है कि तुम वह काम कर चुके हो??"
मृदुल ने हामी भरी और कहा, "हाँ रुद्र.. मैंने केस फाइल तैयार कर ली है और सारे सबूतों का हवाला देते हुए इतना स्ट्रांग केस तैयार किया है कि कोई भी वकील दीप और उसके परिवार को बिल्कुल भी नहीं बचा पाएगा। चाहे वह एड़ी चोटी का जोड़ी क्यों ना लगा ले।"
मृदुल के बोलना खत्म करते ही रुद्र ने चिराग की तरफ देखा तो चिराग ने कहा, "मैंने भी मेरा काम पूरा कर दिया है.. मैंने वह डायरी पूरी पढ़ ली थी। लेकिन तुम्हें मुझे यह डायरी पढ़ने का काम नहीं देना चाहिए था।"
मृदुल और रूद्र उसकी बात पर चौक गए और पूछा, "क्या मतलब है.. क्यों नहीं देना चाहिए था??"
तब चिराग ने गुस्से से कहा, "उस डायरी को पढ़कर मुझे इतना ज्यादा गुस्सा आ रहा है.. कि मैं उस गुस्से को संभाल भी नहीं पा रहा हूँ। वह तो शंभू काका घर पर थे.. उनके लिए मुझे अपना गुस्सा कंट्रोल करना पड़ा। वरना अब तक तो मैं दीप के घर जाकर उसकी अच्छी खासी मरम्मत कर चुका होता।"
"ऐसा भी क्या लिखा है उस डायरी में..?? मैं तुम्हें पूछ रहा हूं चिराग..??" रुद्र ने तेज आवाज़ में कहा।
चिराग उस वक़्त कहीं खोया हुआ सा था.. रुद्र की आवाज़ से उसका ध्यान टूटा और चिराग ने
उस डायरी में लिखी बातें सिलसिलेवार दोनों को सुनाना शुरू कर दिया।
चिराग ने कहा, "पूरी डायरी तो मैं तुम्हें पढ़कर नहीं सुना सकता। लेकिन उस डायरी में लिखी सारी बातें मैं तुम्हें एक छोटी सी कहानी के रूप में अच्छे से सुना सकता हूं।"
मृदुल और रूद्र ने हां में गर्दन हिलाई और कहा, "ठीक है.. बताओ..!!"
तब तक शंभू काका भी अपना काम खत्म करके वहीं आ कर बैठ गए थे। चिराग ने उस डायरी में लिखी बातें बताना शुरु कर दिया। चिराग ने बताया,
"अनीता स्कूल में एक बहुत ही ज्यादा ब्रिलियंट स्टूडेंट थी। कॉलेज की हर एक्टिविटी में वह पार्ट लेती थी और उसे जीतती भी थी। धीरे धीरे वह पूरे कॉलेज में फेमस होने लगी थी.. पर पता नहीं इन सबके बीच दीप की नजर अनीता पर कैसे पड़ी.. ये बात तो अनीता को भी नहीं पता चली।
दीप को पता नहीं अनीता में ऐसा क्या दिखा जो दीप ने अनीता के पापा को जबरदस्ती अनीता से शादी करने के लिए मना लिया था। अनीता दीप से शादी नहीं करना चाहती थी.. पता नहीं क्यों लेकिन दीप अनीता को हमेशा से ही एक संदेहास्पद आदमी लगता था। अनीता के पापा के जोर देने पर.. मन ना होते हुए भी अनीता को दीप से शादी करनी पड़ी।
दीप के घरवाले इस शादी से बिल्कुल भी खुश नहीं थे.. शादी के बाद से ही घर के सभी सदस्य उसे बहुत ज्यादा परेशान करने लग गए थे। और तो और अनीता को नौकरों की तरह पूरे दिन घर के कामों में लगाए रखते थे। अनीता ने धीरे धीरे इसे अपनी नियति मानकर जीना शुरू कर दिया था। लेकिन अब अनीता को दीप के बारे में हर रोज नई बातें पता चलने लगी थी.. जैसे दीप का चक्कर उसकी सेक्रेटरी के साथ चल रहा था.. जो बहुत ही ज्यादा खूबसूरत थी। उसके साथ ही और भी कई अफेयर्स दीप के चल रहे थे। अनीता यह सब जानकर टूटती चली गई थी.. लेकिन फिर भी चुपचाप अपने काम में लगी रहती थी।
इसे अपनी बदकिस्मती मानकर और अपने पापा की खुशी के लिए अनीता चुपचाप सब कुछ सह रहीं थीं।
दीप ने कई बार अनीता के साथ बदतमीजी और ज्यादतियां करना शुरू कर दिया था। घर वाले भी इन सब में दीप का ही साथ देते थे। धीरे धीरे दीप की हरकतें बिगड़ती ही जा रही थी। उसने अनीता को अपनी बीवी तो दूर एक औरत का सम्मान भी देना बंद कर दिया था। देर रात तक उनके घर में शराब और मांस का दौर चलता था...जिसमें दीप के साथ और भी लोग होते थे। जिनमें कुछ नेता, बड़े अफसर और दीप के बिजनेस एसोसिएट होते थे।
अनीता को नौकरों के घर पर जाने के बाद उन लोगों की खातिरदारी में लगा रहना पड़ता था। धीरे धीरे दीप अनीता को और भी ज्यादा परेशान करने लगा था।
शादी को लगभग 5 साल होने आए थे इसीलिए दीप के परिवार वाले अनीता से अब एक वारिस की मांग करने लगे थे।
दीप अपना बच्चा नहीं चाहता था.. इन सबके बीच में अनीता पिस कर रह गई थी। अनीता ने घरवालों को कई बार समझाने की भी कोशिश की थी.. लेकिन घरवालों को अनीता की किसी भी बात का कोई भी फर्क नहीं पड़ता था।
जब उन्हें लगा कि अनीता शायद खुद बच्चा पैदा नहीं करना चाहती.. इसीलिए अवंतिका ने अनीता को अपने गुरु जी के आश्रम भेज दिया था। वह आश्रम भी कोई आश्रम जैसा नहीं था.. उस आश्रम में सारे ही गैर कानूनी काम होते थे और वहां के मेन मेंबर ही वहां के कर्ताधर्ता थे। ड्रग्स, शराब, लड़कियों की तस्करी और लड़कियों को इधर उधर परोसने का काम भी वही मुख्य लोग करते थे। कुछ दिनों तक तो उन्होंने अनीता को रात को दूध में मिलाकर नींद की गोलियां दी.. जिससे अनीता रात भर चुपचाप सो जाती थी। एक दिन दूध में मक्खी गिरने की वजह से अनीता ने दूध नहीं पिया.. तब उसे वहाँ की हकीकत पता चली। लेकिन उसकी बदकिस्मती घर वालों ने 1 महीने से पहले उसे वापस नहीं बुलाया।
आश्रम से वापस आने के बाद सभी लोग अनीता से और भी ज्यादा गुस्सा रहने लगे थे.. क्योंकि आश्रम के ही किसी कर्मचारी ने अनीता की शिकायत घरवालों से लगाई थी। उसके बाद तो वह लोग अनीता को और भी ज्यादा परेशान करने लग गए थे। तभी अनीता ने 1 दिन सभी घर वालों को बैठ कर बातें करते सुना.. वो लोग अनीता को रास्ते से हटाने के बारे में बातें कर रहे थे। अनीता ने घर से भागने की भी कोशिश की थी.. पर वह भागते समय रिद्धि से टकरा गई थी और रिद्धि ने शोर मचा कर सभी को बुला लिया था।
उसके बाद दीप ने अनीता को बहुत मारा था। वैसे तो दीप पहले भी उस पर हाथ उठाता रहता था लेकिन उस दिन तो दीप ने अनीता को इतना ज्यादा मारा जी उसके पैर में बहुत ज्यादा चोट आई थी। जिसकी वजह से वह ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। लेकिन किसी ने भी उसे डॉक्टर के पास ले जाने की जहमत नहीं उठाई।" इतना बोल कर चिराग शांत हो गया।
शंभू काका के चेहरे पर दर्द की रेखाएं दिख रही थी और उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे। रूद्र और मृदुल की आंखें भी नम थी और उनके चेहरे पर बहुत ही ज्यादा गुस्सा दिखाई दे रहा था।
चिराग ने आगे कहा, "मैंने डायरी पूरी पढ़ने की कोशिश की थी.. पर बीच-बीच से पन्ने फटे हुए थे.. इसीलिए उसके साथ और क्या-क्या हुआ था.. वह मैं बहुत ज्यादा डिटेल में नहीं बता पाऊंगा।"
रूद्र ने बहुत ही गुस्से से कहा, "ठीक है.. इतना ही बहुत है दीप और उसके परिवार को फांसी के फंदे तक पहुंचाने के लिए।"
रूद्र ने कहा और फिर मृदुल को देखा, "मृदुल क्या तुमने केस फाइल में इस डायरी का जिक्र किया है??"
"नहीं.. अभी तक तो नहीं किया??" मृदुल ने बताया।
"तो फिर एक काम करो और फाइल में इस डायरी का भी हवाला दो और यह बात भी उसमें लिखना कि अनीता को पहले से ही अंदाजा हो गया था कि दीप और उसके परिवार वाले अनीता को रास्ते से हटाना चाहते थे। और अनीता ने बाद में सभी घरवालों को उसकी हत्या की साजिश रचते हुए सुन भी लिया था।" रूद्र ने कहा और कुछ देर रुक कर मृदुल से बोला,
"कल सुबह सुबह जाकर ही यह काम तुम कर देना..!!"
"यह काम तो मैं अभी बैठकर कर देता हूं। मैं केस फाइल को घर ही ले आया था ताकि इसके साथ कोई छेड़छाड़ ना की जा सके।" मृदुल ने कहा।
मृदुल की इस दूरदर्शिता को देखकर रूद्र बहुत खुश था। उसने चिराग से कहा, "चिराग समर को फोन करके पता करो कि जो मिट्टी मृदुल उसे सुबह टेस्ट करने के लिए देकर आया था.. उसके रिजल्ट्स क्या है??"
चिराग तुरंत ही उठकर अपना फोन लेने कमरे में चला गया। जब चिराग वापस लौटा तो वह समर से बात कर रहा था।
फोन काट कर चिराग ने कहा, "हमारे लिए एक और गुड न्यूज़ है.. जो मिट्टी हमने दीप के किचन गार्डन से चुराई थी.. वही मिट्टी दीप के जूते पर से भी मिली है। समर बता रहा था कि दोनों एक ही मिट्टी के सैंपल है।"
इतना सुनते ही रूद्र उठ खड़ा हुआ और बोला, "तो फिर तैयार हो जाओ.. हम लोग कल सुबह ही दीप के घर जाकर अनीता की लाश बरामद करेंगे। लेकिन दीप के घर मैं अकेला ही जाऊंगा। तुम लोग दोनों बाहर की सारी तैयारियां और मीडिया को संभालोगे। और हां मेरे इशारा करने तक कोई भी बात बाहर नहीं निकलनी चाहिए।"
चिराग और मृदुल ने रूद्र की बात पर सहमति जताई और शंभु काका ने भी उनका साथ देने का वादा किया।
इन्हीं सब बातों में रात के 11:00 बज गए थे। रुद्र ने किसी को मैसेज किया और सुबह 8:00 बजे रूद्र के घर पहुंचने के लिए कहा।
उसके बाद रुद्र ने सभी से कहा, "कल का दिन हमारे लिए बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण है। कल ही का दिन है.. जिसमें हमें दीप और उसके परिवार को सलाखों के पीछे पहुंचाने की तैयारियां करनी है। इसीलिए अभी के लिए हम सभी आराम करते हैं।"
ऐसा कहकर रूद्र उठ खड़ा हुआ अपने कमरे में सोने के लिए कमरे में चला गया। मृदुल और चिराग भी पीछे पीछे चले गए। शंभू काका ने वही हाल में अपना बिस्तर डाल लिया और वह भी आराम करने लग गए।
आज सुबह सुबह जल्दी ही रुद्र के घर पर अफरातफरी का माहौल था। घर में बहुत ही ज्यादा भागा दौड़ी हो रही थी। रूद्र, मृदुल और चिराग तीनों ही नहा धोकर तैयार हो चुके थे। जैसे ही वह निकलने वाले थे शंभू काका ने उन्हें चाय नाश्ते के लिए रोक लिया था।
"बेटा सुबह-सुबह घर से भूखे पेट बाहर नहीं निकलते हैं.. इसलिए चाय नाश्ता कर के ही जाओ।"
रुद्र, मृदुल और चिराग तीनों ने शंभू काका की बात मानते हुए चाय नाश्ता किया। जल्दी ही तीनों घर से निकल गए।
जैसा कि रात को डिसाइड हुआ था.. मृदुल और चिराग सीधे पुलिस स्टेशन पहुंचे और वहां पर दीप और उसकी फैमिली को रखने के लिए सारे अरेंजमेंट करने लगे। रुद्र के हिसाब से जैसे ही दीप और उसकी फैमिली को अरेस्ट करके लाया जाएगा.. पुलिस स्टेशन के बाहर मीडिया और प्रेस वालों की बहुत ज्यादा भीड़ इकट्ठा होगी। इसी संभावना को देखते हुए मृदुल और चिराग जल्दी से जल्दी सारे अरेंजमेंट करने में लगे हुए थे।
उन्हें लगभग 2 घंटे लगे सारे अरेंजमेंट करने में.. उसके बाद उन्होंने रूद्र को मैसेज करके अपनी सारी तैयारी के बारे में बता दिया था। अब वक्त रुद्र के एक्शन का था।
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रुद्र जैसे ही अपने फ्लैट से बाहर निकला था.. दो लोग उसके घर की पार्किंग में उसका इंतजार कर रहे थे।
यह दो लोग वही थे जिन्हे रात को रूद्र ने मैसेज करके सुबह 8:00 बजे आने के लिए कहा था।
उन दो लोगों में एक लड़की थी और एक लड़का था।
लड़की ने एक सिंपल जींस और कुर्ती डाली हुई थी, बालों की एक सिंपल सी पोनी बांधी थी, आंखों पर नज़र का चश्मा, एक हाथ में घड़ी पहनी हुई थी.. लड़की का नाम गीत था! वही उसके साथ आया लड़का गोल मटोल था.. वो एकदम टिप टॉप दिख रहा था.. जींस टीशर्ट पहने हुए और टी शर्ट का एक कॉर्नर अपने जींस की लेफ्ट हैंड साइड पॉकेट के ऊपर की तरफ टक किया हुआ था। उसने सनग्लासेस पहने हुए थे और साथ में स्पोर्ट शूज डाले हुए थे.. लड़के का नाम आदित्य था।
आदित्य के हाथ में एक बड़ा सा कैमरा दिखाई दे रहा था। जैसे ही रूद्र ने उस कैमरे को देखा तो वह गीत पर भड़क गया।
"तुम्हारा दिमाग खराब है.. तुम्हें बताया था ना.. यह केस कितना हाई प्रोफाइल है और तुम यह बड़ा सा कैमरा लेकर आ गई। कोई स्टिंग ऑपरेशन जैसा छोटा कैमरा नहीं था।"
वह जो 2 लोग आए थे वह दोनों ही एक बड़े न्यूज़ चैनल से थे। एक बार उन्होंने किसी केस में रुद्र की बहुत ज्यादा हेल्प की थी इसीलिए रूद्र ने आज उन्हें ही यह न्यूज़ सबसे पहले दी थी.. वो भी इस हिदायत के साथ की.. जब तक रुद्र नहीं कहगा उन का चैनल इस न्यूज़ को टेलीकास्ट नहीं करेगा।
गीत उस चैनल की को हेड थी.. इसीलिए अभी तक चैनल की हायर अथॉरिटी को भी इस केस के बारे में पता नहीं चला था।
गीत ने रूद्र से कहा, "उस कैमरे की क्वालिटी अच्छी नही होती.. वीडियोज भी क्लियर नहीं आते.. स्टिंग ऑपरेशन के टाइम वही कैमरा यूज़ करना मजबूरी होती है। अदर वाइज वह कैमरे कभी यूज़ नहीं किए जाते।"
"वह तो ठीक है.. पर तुम्हें पता भी है उसके घर के अंदर किसी भी तरह के कैमरा ले जाना अलाउड नहीं है। उन्होंने अगर इस तेरे मोटे को कैमरे का साथ देख लिया.. तो मुझे अभी अंदर नहीं जाने देंगे। और फिलहाल यह मैं अफोर्ड नहीं कर सकता। अभी मुझे अनीता की लाश बरामद करनी है और उस खुदाई का लाइव वीडियो तुझे मिले.. इसीलिए तुझे लेकर जा रहा हूं। इस कैमरा की जगह अगर कोई छोटा पोर्टेबल कैमरा जो लोगों की नजर में आए बिना तुम ले जा सकती हो.. तो वही लेकर चलो..!!" रुद्र ने हिदायत देते हुए कहा।
"ठीक है.. तुम मुझे आधा घंटा दो..! मैं अभी कैमरा अरेंज कर देती हूं।" ऐसा कहकर गीत एक तरफ चली गई। वहां उसने किसी को फोन किया और कुछ देर तक बात करने लगी।
रूद्र ने आदित्य से कहा, "देख मोटे.. अगर तूने आज वीडियो बनाने में कोई भी गड़बड़ कर दी.. तो बाय गॉड..! मैं एक ऐसे केस में तुझे फंसाऊंगा कि तू जिंदगी भर जेल से बाहर आने के लिए तरसेगा।" रूद्र की इस धमकी से आदित्य थोड़ा सा घबराया हुआ दिख रहा था।
आदित्य ने थोड़ा सा हकलाते हुए कहा, "न.. नहीं.. ऐसा नहीं होगा..! किसी भी कीमत पर वह वीडियो खराब नहीं होगा..!!"
रूद्र ने उसके गाल को थपथपाते हुए कहा, "तुम्हारे लिए भी यही अच्छा होगा..!" और गाड़ी पर सिरहाना लगाकर गीत का इंतजार करने लगा।
अगले मिनट ही गीत फोन रख कर वापस लौट आई और कहा, "ठीक है अब तो.. कैमरे का अरेंजमेंट हो गया!! बस हमें मेरी एक फ्रेंड के घर की तरफ से होकर निकलना होगा। वह बाहर ही कैमरा पकड़ा देगी और यह बड़ा कैमरा हम उसके घर पर छोड़ देंगे।"
"ठीक है तो फिर और ज्यादा देर मत करो और स्टार्ट हो जाओ!!" ऐसा कह कर रूद्र अपनी कार में बैठ गया। रुद्र के कार में बैठते ही पीछे पीछे ही गीत और आदित्य भी कार में बैठ गए।
रूद्र ने कार दीप के घर की तरफ दौड़ा दी। रूद्र को एक घंटा लगा दीप के घर तक पहुंचने में। सोसाइटी के गार्ड ने रूद्र को देखा तो बिना कुछ कहे दरवाजा खोल दिया। यह देख कर गीत बहुत ही ज्यादा आश्चर्य में थी।
उसने रुद्र की तरफ देखा तो रूद्र ने एक हाथ से अपनी कॉलर को ठीक किया और गीत को आंख मार दी। इसका मतलब यह था की रूद्र काफी फेमस आदमी था और रुद्र को मना करना हर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता। बिल्कुल ऐसा ही दीप के बंगले पर भी हुआ था।
बंगले के चौकीदार ने रूद्र की कार को देखते ही मेन गेट खोल दिया। रूद्र ने अपनी कार बंगले के एंट्रेंस से थोड़ा सा आगे पार्क कर दी और वह तेज कदमों से पीछे की तरफ बने किचन गार्डन की तरफ चला गया। गीत और आदित्य भी उसके पीछे पीछे किचन गार्डन तक चले गए।
गीत ने वहां पर सब्जियां उगाई हुई देखकर रुद्र से पूछा, "तुम मुझे यहां सब्जियों का खेत दिखाने लाये हो या फिर अनीता की बॉडी ढूंढने..??"
गीत के ऐसा कहने से रूद्र को थोड़ी सी चिढ़ महसूस हुई। रूद्र ने गीत से कहा, "अगर तुम थोड़ी देर अपना मुंह बंद रखोगी तो तुम्हें बॉडी भी मिल ही जाएगी।"
ऐसा कह कर रूद्र ने आसपास कुछ ढूंढने के अंदाज़ में देखा तो उसे वहां एक फावड़ा नजर आया।
तभी उसके फोन की मैसेज टोन बजी। यह मृदुल का मैसेज था कि उसने पुलिस स्टेशन में सारी तैयारियां कर ली थी। मृदुल का मैसेज आते ही रूद्र ने उस फावडे को उठाया और बीच में जो खाली जगह कल रूद्र ने देखी थी.. वहां पर खुदाई चालू कर दी।
जब रुद्र खुदाई कर रहा था.. वहां पर कोई भी नहीं था। रुद्र के खुदाई चालू करते ही गीत ने आदित्य से बोलकर वहां का वीडियो शूट करना स्टार्ट करवा दिया था।
काफी देर तक खुदाई करने के बाद.. जब रूद्र लगभग 5 फुट गहरा गड्ढा खोद चुका था.. उस वक्त उसे वहां कुछ नजर आया।
क्रमशः...
Punam verma
19-Jul-2022 03:48 PM
Very nice
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Seema Priyadarshini sahay
22-Jun-2022 11:30 AM
बेहतरीन भाग
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Aalhadini
25-Jun-2022 12:06 AM
शुक्रिया 🙏
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Pallavi
21-Jun-2022 05:14 PM
Amazing
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Aalhadini
25-Jun-2022 12:06 AM
Thanks 😊 🙏
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